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मैं केदारनाथ बोल रहा हूं...मेरी भी पुकार सुनो!
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10 साल पहले मेरे पीछे मौजूद चोराबाड़ी ग्लेशियर के ऊपर बादल फटने के कारण भयंकर बाढ़ आई थी
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इस बाढ़ ने न सिर्फ मुझे क्षति पहुंचाई
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बल्कि कई गांव और शहरों को तहस-नहस कर दिया था.
लेकिन ये मेरी मर्जी नहीं थी. मुझे तो एकांत चाहिए. सालों से मेरे दिल पर पत्थर तोड़े जा रहे हैं
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सालों से मेरे दिल पर पत्थर तोड़े जा रहे हैं. मेरा घर हिमालय है. जिसे इंसान अपने फायदे के लिए लगातार तोड़ रहा है.
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मैं चुप हूं. कुछ कर नहीं पा रहा हूं, लेकिन मेरे घर को तोड़कर इसे कमाई का जरिया बनाने वाले इन इंसानों को जरा भी आभास नहीं है
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ऐसा करना न सिर्फ मेरे लिए बल्कि मेरे अंदर रह रहे लाखों लोगों के लिए विनाशकारी हो सकता है.
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